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सामान्य अध्ययन-3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव आकलन।
संदर्भ:कोपरनिकस वायुमंडल निगरानी सेवा (CAMS) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2025 का अंटार्कटिक ओजोन छिद्र 1 दिसंबर को बंद हो गया। यह 2019 के बाद ओजोन छिद्र के सबसे जल्दी बंद होने का रिकॉर्ड है और ओजोन-क्षयकारी पदार्थों पर वैश्विक प्रयासों के कारण वायुमंडल में हो रही सकारात्मक पुनर्प्राप्ति का भी संकेत है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
- जब इसकी तुलना 2020 से 2023 तक देखे गए विशाल और लंबे समय तक बने रहने वाले ओजोन छिद्रों से की गई तो 2025 का ओजोन छिद्र लगातार दूसरे वर्ष अपेक्षाकृत सबसे छोटा था।

- इसने उच्च ओजोन सांद्रण भी दिखाया, जिससे ओजोन परत की निरंतर पुनर्प्राप्ति की उम्मीदें बनी हुईं हैं।
- 2025 का अंटार्कटिक ओजोन छिद्र अगस्त के मध्य में जल्दी विकसित हुआ, जो 2023 की बड़ी घटना के समान पैटर्न का अनुसरण कर रहा था। शुरू में इसमें थोड़ी कमी आई परन्तु सितंबर की शुरुआत में यह 21.08 मिलियन वर्ग किलोमीटर के अधिकतम क्षेत्र तक फैल गया। यह आकार मौसम के अनुरूप सामान्य है, लेकिन 2023 में दर्ज किए गए 26.1 मिलियन वर्ग किलोमीटर से काफी छोटा है।
- छिद्र के बंद होने में देरी कम ओजोन के एक स्थायी छोटे पैच के कारण हुई और अंततः यह 1 दिसंबर को बंद हो गया। यह छिद्र 2019 के बाद सबसे जल्दी बंद हुआ और लगभग चालीस वर्षों में सबसे जल्दी बंद होने वाले छिद्रों में से एक है। इसका जल्दी बंद होना और छोटा आकार ओजोन-क्षयकारी पदार्थों को वैश्विक स्तर पर चरणबद्ध तरीके से करने के प्रयासों की प्रगति को दर्शाता है।
ओजोन छिद्र के बारे में
- ओजोन छिद्र, समताप मंडल में ओजोन परत के अत्यधिक क्षय वाला एक क्षेत्र है, जो मुख्य रूप से ध्रुवीय क्षेत्रों, विशेष रूप से अंटार्कटिका के ऊपर होता है।
- ओजोन छिद्र को एक विशिष्ट क्षेत्र के ऊपर वायुमंडल के ऊर्ध्वाधर स्तंभ (vertical column) में ओजोन की कुल मात्रा की निगरानी करके मापा जाता है। इसे डॉबसन यूनिट में व्यक्त किया जाता है, जिसमें 220 DU से नीचे के स्तर को “छिद्र” के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- एक डॉबसन यूनिट शुद्ध ओजोन की एक परत की वह मोटाई है, जो इसे मानक ताप (0°C) और दाब (1 वायुमंडल) पर संपीड़ित करने पर प्राप्त होती है।
ओजोन परत के बारे में

- ओजोन परत पृथ्वी के वायुमंडल में एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच है जो सूर्य से आने वाले हानिकारक पराबैंगनी विकिरण को अवशोषित करती है।
- यह पृथ्वी की सतह से 10 किलोमीटर और 40 किलोमीटर के बीच, समताप मंडल (पृथ्वी के वायुमंडल की एक परत) में मौजूद है और सूर्य से आने वाले पराबैंगनी विकिरण से हमारी रक्षा करती बचती है।
- ओजोन के दो प्रकार हैं :
- समतापमंडलीय ओजोन को “अच्छी” ओजोन माना जाता है। यह ऊपरी वायुमंडल (समताप मंडल) में पाई जाती है, और हानिकारक पराबैंगनी (UV) विकिरण को अवशोषित करके पृथ्वी पर जन-जीवन की रक्षा करती है।
- क्षोभमंडलीय ओजोन को “बुरी” ओजोन माना जाता है, यह निचले वायुमंडल (क्षोभमंडल ) में एक प्रदूषक है और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और यह स्मॉग (smog) का एक घटक है।
ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयास
वियना कन्वेंशन
- ओजोन परत के संरक्षण के लिए वियना कन्वेंशन को 22 मार्च 1985 को अपनाया गया था और यह 22 सितंबर 1988 से प्रभावी हुआ। यह पृथ्वी की ओजोन परत की रक्षा के लिए कानूनी और व्यावहारिक कार्रवाई हेतु एक फ्रेमवर्क संधि के रूप में कार्य करता है।
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल
- ओजोन परत का क्षरण करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल एक ऐतिहासिक बहुपक्षीय पर्यावरण समझौता है जो लगभग 100 मानव-निर्मित रसायनों जिन्हें ओजोन-क्षयआरी पदार्थ कहा जाता है, के उत्पादन और खपत को विनियमित करता है।
- ओजोन क्षयकारी पदार्थ (ODS) ऐसे मानव-निर्मित रसायन हैं जो पृथ्वी की रक्षा करने वाली ओजोन परत का क्षरण करते हैं जैसे- क्लोरोफ्लोरोकार्बन(CFCs),, हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन(HCFCs),, हैलोन्स, मिथाइल ब्रोमाइड।
- पृथ्वी की ओजोन परत की रक्षा के लिए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर 16 सितंबर 1987 को हस्ताक्षर किए गए थे। इसी दिन अंतर्राष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस मनाया जाता है। यह आज तक सार्वभौमिक रूप से अनुसमर्थित दुर्लभ संधियों में से एक है। भारत, जून 1992 से मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का एक पक्षकार (Party) रहा है।
- मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के कार्यान्वयन के लिए बहुपक्षीय कोष की स्थापना 1991 में की गई थी।
- बाद में, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हुए किगाली संशोधन के माध्यम से, हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के उत्पादन और खपत को चरणबद्ध तरीके से कम करने की देशों की प्रतिबद्धता से जलवायु कार्रवाई को गति मिल रही है।
- भारत ने 2021 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के किगाली संशोधन की पुष्टि की, और यह 2028 तक हाइड्रोफ्लोरोकार्बन को चरणबद्ध तरीके से कम करना शुरू कर देगा। इसका लक्ष्य 2047 तक 2024-26 के आधारभूत स्तरों के 15% तक उत्सर्जन में कटौती करना है।
- शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि किगाली संशोधन का पूर्णतः अनुसमर्थन और क्रियान्वयन किया जाता है, तो 2100 तक तक वैश्विक तापन में 0.5°C की कमी आ सकती है।
कोपरनिकस के बारे में
- कोपरनिकस यूरोपीय संघ के अंतरिक्ष कार्यक्रम का पृथ्वी अवलोकन घटक है और यह यूरोपीय नागरिकों के लाभ के लिए पर्यावरणीय जानकारी प्रदान करता है।
- यह कार्यक्रम उपग्रह आधारित पृथ्वी अवलोकन डेटा और स्वस्थाने या जमीनी माप पर आधारित सेवाएँ प्रदान करता है।
- यूरोपीय संघ की ओर से यूरोपीय आयोग (European Commission) इस कार्यक्रम का प्रबंधन करता है।
- कोपरनिकस वायुमंडल निगरानी सेवा (CAMS) एक सक्रिय सेवा है जो वैश्विक और यूरोपीय स्तर पर पृथ्वी के वायुमंडल की संरचना से संबंधित निरंतर, मुफ्त और ओपन डेटा प्रदान करती है।
